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नशा

अपनों में बेगाना बना देती है नशा , लुटा हुआ खजाना बना देती है नशा । लगती है प्यारी जन्नत से ज्यादा , इस कदर दीवाना बना देती है नशा । पीकर शराब गांजा ईठलाते है हम , सुख व् चैन अपना खो जाते है हम । बोकर कांटे ज़िन्दगी की राह में , खुद की खुशियों को खुद ही लुटाते हैं हम । पैदा करती मुश्किलें राह में अनगिनत , समझते हैं दोस्त जब इसको हम । तोड़ देती परिवार पल में दोस्तों , जिसके लिए सबको भूल जाते हैं हम । खुद की नजरों में खुद को गिरा देती नशा , हँसता परिवार उजाड़ देती है नशा । खुद की नजरों में गिरकर जो कोई अगर , दीप जन्नत भी पाए तो है वो सजा । खांसी दमा व् कैंसर क्या इसके लिए , हर ख़ुशी ही दुश्मन है जिसके लिए । छीन लेती जो खुशियाँ पल में ही सारी , क्या देगी ख़ुशी ज़िन्दगी के लिए । जहां को दुश्मन बना देती नशा , इन्सान का वजूद मिटा देती नशा । संजाकर सेंज पाप के फूलों से यारों , मौत की नींद सुला देती नशा ।

जादू की छड़ी

बचपन में नानी से सुनी कहानियों में अक्सर जादू की छड़ी का जिक्र हुआ करता था । नानी बड़े प्यार से परियों के बारे में बताती और उनके छड़ियों की शक्ति के बारे में बताते हुए बुराई पर अच्छाई की जीत में उनकी महत्ता को रेखांकित करती । बचपन से ही बालमन में मेरे यह बात बैठ गयी थी की मुश्किल से मुश्किल काम भी जादू की छड़ी घुमाते ही पलक झपकते हो जाता है । जैसे- जैसे बड़ा हुआ , मुझे यह एहसास होने लगा की छोटा से छोटा काम भी बिना मेहनत किये नहीं होता । लेकिन aajमुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ की प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और कृषिमंत्री जादू की छड़ी का इंतज़ार कर रहे हैं । प्रधानमंत्री जी कहते हैं की उनके पास भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए जादू की छड़ी नहीं है । जब भी देश की अवाम अपनी मुखिया के मुंह से ये शब्द सुनती है तो भ्रष्टाचार की आग में जल रही अवाम का दर्द और बढ़ जाता है । उसे विश्वास नहीं होता है की जिस व्यक्ति के २४२ करोड़ हाथ हैं वह इतना कमजोर कैसे हो सकता है । भ्रष्टाचार की आग में कुछ लालची नेता , चोर अफसर और तथाकथित समाज के ठेकेदार अपनी- आपनी रोंटियाँ सेक रहे हैं और निरीह जनता इस इंतज़ार में बैठी...

दाग अच्छे हैं

ज़िन्दगी एक सफ़ेद चादर के सामान है जिसमे दाग लगना सामाजिक प्रतिष्ठा पर बट्टा लगना माना जाता है । एक बार दाग लग जाने पर कोई भी सर्फ़ एक्स्सल मिटा नहीं सकता । यह दाग व्यक्ति के ज़िन्दगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी बनी रहती है । इंसान हो या देवता , एक बार दाग लगा नहीं वह अछूत की श्रेणी में आ जाता है और ताउम्र उस दाग को मिटाने का प्रयास करता है । बेचारे चाँद को ही लीजिये , वह आज तक अपने ऊपर लगे दाग को नहीं छुड़ा पाया । प्राचीन काल में जब किसी व्यक्ति के ऊपर दाग लग जाता था तो उसके पास पश्चाताप की अग्नि का सहारा होता था या फिर वह दाग छुपाने के लिए जंगल की राह पकड़ लेता था । दाग लग जाने के बाद समाज में मुह दिखाना प्रतिबंधित था । पर आज दाग लगना अच्छा है । खासकर राजनीती में , जिसके दामन पर दाग नहीं वह अच्छा और बड़ा नेता नहीं माना जाता । दाग लगने पर न सिर्फ शोहरत मिलती है बल्कि सत्ता सुख हासिल होने की संभावना भी प्रबल हो जाती है । इसके...

फरेब

कभी वक़्त तो कभी हालात ने फरेब किया जिसको ज़िन्दगी मन उसके साथ ने फरेब किया दुनिया को दिखाने के लिए वो दर्द पी गए मेरा दिल के साथ तो उनके ज़ज्बात ने फरेब किया ..... रोशनी की कमी न थी ज़िन्दगी में यारों ज़िन्दगी ऐ सफ़र में तो चादनी रात ने फरेब किया मोहब्बत थी उनकी या फरेबी अदा थी ' दीप ' दिलकश मुस्कुराहटों के साथ हर बात ने फरेब किया मिलकर भी बयां कर न पाए कुछ अल्फाज़ मुझसे तो उनकी हर मुलाकात ने फरेब किया वो तो खुश है सनम अपनी दुनिया बसाकर मेरी खुशियों के साथ उनके सौगात ने फरेब किया

नयी सदी में लोगों को

मारकाट भ्रष्टाचार मिलेगा , बदला हुआ संसार मिलेगा । चुनाव की बीमारी होगी , चुनाव का बुखार मिलेगा । नयी सदी में लोगों.... वादों के पुल मिलेंगे , पैसों के स्कूल मिलेंगे । पानी का इन्जेक्सिन होगा , भोजन के कैप्सूल मिलेंगे । नयी सदी में ..... सौ परसेंट आरक्षण होगा , गरीबों का ही शोषण होगा । रूपये की ही दुनिया होगी , रूपये का सब खेल मिलेगा । नयी सदी में ....... जनरल स्टोर पर हेरोइन मिलेगी , चरस भाँग कोकीन मिलेगी । ऊँचा बनने के ख्वाब मिलेंगे , सबसे सस्ते शराब मिलेंगे । नयी सदी में .... चारों तरफ दिखावा होगा , आदि मानव सा पहनावा होगा । फैशन की दुनिया होगी , फैशन का मायाजाल मिलेगा । नयी सदी में ...... एक वोट सौ नेता मिलेंगे , बिन पेंदी के लोटा मिलेंगे । न तहजीब न संस्कार होगा , बाप से लड़ते बेटा मिलेंगे । नयी सदी में ..... आलसी सब मास्टर मिलेंगे , घुसखोर इंस्पेक्टर मिलेंगे । हर तरफ घोटाला होगा , घोटाले में लिप्त मिनिस्टर मिलेंगे । नयी सदी में .... पति पत्नी में...

दम तोड़ती व्हीसल ब्लोवर्स की आवाज़

एक तरफ जहाँ सरकार जनता से यह अपेक्षा कर रही है कि जनता भ्रष्टाचार मिटाने में उसका सहयोग करे वहीँ व्हीसल ब्लोवेर्स की दम तोड़ती आवाज़ सरकार की अपेक्षाओं पर पानी फेरती नजर आती हैं । सत्येन्द्र दुबे , यशवंत सोंवड़े या फिर शैला मसूद की आवाज़ का जिस बेरहमी से गला घोटा गया उससे सरकार की कथनी और करनी में फर्क आसानी से देखा जा सकता है । अधिकतर मामलों में तो व्हीसल ब्लोवेर्स की आवाज़ को सरकारी मशीनरी की भट्ठी में ही घुन्टते और कराहते हुए देखा गया और जब ये आवाजें हमेशा के लिए खामोश कर दी गयीं तो सरकार का यह बयान की हम व्हीसल ब्लोवेर्स की सुरक्षा के लिए दृढ संकल्पित हैं, मृतक की आत्मा को भी खून के आंसू रोने पर मजबूर कर देती है । भारत एक लोकतान्त्रिक देश है । किसी भी लोकतान्त्रिक देश में गोपनीयता अपवाद होना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार रूपी पेड़ की जड़ें गोपनीयता रूपी उर्वरक पाकर और भी मजबूत हो जाती है जिन्हें उखाड़ फेकना आसान नहीं होता है । विग...

छपास रोग ( व्यंग्य )

कल मेरे एक छात्र ने मुझसे पूछा कि सर आप किस रोग को सबसे खतरनाक मानते हैं ? मैंने उत्तर दिया , वर्तमान में छपास रोग सबसे खतरनाक है । इसका वायरस जिस तेजी से लोगों को गिरफ्त में ले रहा है इससे आने वाले दिनों में इसके पुरे भारत में फैल जाने कि गंभीर आशंका है । प्रश्न पूछने वाले छात्र के साथ ही अन्य छात्रो के पल्ले भी कुछ नहीं पड़ा । आखिर पड़ता भी कैसे ? उन्होंने स्वाईन्न फ्लू , एड्स , हेपेतायितिस बी जैसी खतरनाक बिमारियों का नाम तो सुना था परन्तु इस रोग के बारे में उनका ज्ञान शून्य था । अभी मै कुछ बोलता कि तभी दुसरे छात्र ने पूछ लिया , सर ! यह रोग किस वायरस से फैलता है ? इसका इलाज क्या है ? इस रोग का लक्षण क्या है ? प्रश्नों कि एक लम्बी श्रंखला ने मेरे माथे पर सिकन ला दिया । मै कुछ देर के लिए शांत हो गया । मुझे शांत देखकर छात्र आपस में ईशारे से यह कहने का प्रयास कर रहे थे कि सर हम लोगों को बेवकूफ बना रहे है । भला ऐसा...