राह ए ज़िंदगी

ज़िंदगी लगी बेहद हसीं जब मुस्कुराकर देखा हमने |

उनके ख्वाब  पलकों पे जब सजाकर देखा हमने ||

तकलीफ उनके दिल की समझ सका था न अब तलक |

उदासी उनकी समझ में आई जब हँसाकर देखा हमने ||

कुछ दर्द पराये आज लगने लगे हैं मुझको पहचाने से |

अश्क उनके मेरी पलकों से जब गिराकर देखा हमने ||

हालात के मारे कबसे भटकते रहे थे हम दर- बदर |

समझ में आई ये ज़िंदगी जब उन्हें गंवाकर देखा हमने ||

कसूर किसको दें और किससे आज हम फरियाद करें |

पाने की हसरत है समझा जो सब लुटाकर देखा हमने ||




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