तलाश

किसी को धूप किसी को छाँव की तलाश है |

शहर को भी आज किसी गाँव की तलाश है ||

कोई थक गया है ज़िन्दगी में भाग-भाग कर |

कोई है जिसे एक अदद पाँव की तलाश है ||

किसी को नींद नहीं है मखमली बिस्तर पर |

कोई है जो सो जाता  जमीं पर ही थककर ||

कोई नींद की तलाश में भटक रहा है आज |

किसी खुली नज़र को सपनों की तलाश है ||

जी रहा है कोई सपनों की दुनिया बसाकर |

कोई है जिसके सपने बिखरे गये हैं टूटकर ||

कोई है जो तन्हाई में जी रहा ज़िन्दगी ‘दीप’ |

किसी को भीड़ में भी कारवां की तलाश है ||

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