संदेश

2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दी

अपने ही देश में हिन्दी, सिसक- २ कर रोती है । अंग्रेजी सोये डनलप पर, हिन्दी खाट पर सोती है ।। निज भाषा उन्नति अहै, भारतेन्दु जी कहते थे । दिल में बसाकर हिन्दी, इसीकी दुनिया में रहते थे ।। केवल भाषा नहीं थी हिन्दी, भारतीयों का मान थी । निज गौरव की अनुभूति, करोड़ों का अभिमान थी ।। ब्रज, अवधी और मैथिली, भोजपुरी को भाती थी । संस्कृत बोलने वालों को, अपनी ओर लुभाती थी ।। हिन्दी संस्कार की भाषा है, खुश्बू इससे आती है । राष्ट्रभाषा के रूप में, राष्ट्रप्रेम दिल में जगाती है ।। अंग्रेजी की चकाचौंध में, हिन्दी से हम दूर हुए । मातृभाषा भी अपनी, बिसराने को मजबूर हुए ।। अंग्रेजीयत की चाह में, मन आज गुलाम हुआ । सोच पराई हो गई, विचार भी गुमनाम हुआ ।। सोचो ऐ हिन्द सपूतों, इसका न तिरस्कार करो । माँ रुपी हिन्दी से, गैरों सा न व्यवहार करो ।।

वो गाँव कहाँ है ?

पथिक भी पाता था ढेरों प्यार जहाँ, झोपड़ी में प्यार समेटे गाँव कहाँ है । बनने लगे पक्के मकान जबसे ‘दीप, ‘अतिथि देवो भवः’ का भाव कहाँ है ।। कट गया जबसे आँगन घर के नक़्शे से, साथ भोजन की परम्परा कहाँ है । बाँट लेते थे दुःख-दर्द चौपाल में, चौपाल लगे जहाँ वो पीपल छाँव कहाँ है ।। दिखती नहीं है गौरैया घर-आँगन में, हर कोई खोया है अजीब उलझन में । कट गया है जबसे वो बुढा बरगद, कोयल की कूक कौवे की कांव कहाँ है ।। दिखते नहीं आंसू पड़ोसी की आँखों में, गैरों के दर्द की अब परवाह कहाँ है । जवां हो जाते बच्चे तकनीक के गोद में, बच्चों का बच्चों से लगाव कहाँ है ।।

चुनाव नजदीक है

कल गाँव से भैया का फ़ोन आया था । बता रहे थे कि ३ साल पहले जो पुलिया टूट गयी थी और जिसकी वजह से सैकड़ों गाँव के लोगों को शहर जाने के लिए कई किलोमीटर ज्यादा चलना पड़ता था , उसके मरम्मत का काम शुरू हो गया है । सांसद निधि से सांसद महोदय ने पुरे २२ लाख रूपये दिए हैं और साथ ही पी डब्ल्यू डी के अभियन्ता को निर्देश भी कि जल्द से जल्द पुलिया के मरम्मत का काम पूरा कर उन्हें रिपोर्ट भेजा जाय । माननीय ने सभी आला अधिकारियों को लताड़ भी लगाई । उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र की जनता को किसी भी तरह की तकलीफ हो , कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा । मैंने भैया से पूछा कि क्या सांसद जी को पुलिया टूटने की ख़बर नहीं थी ? पिछले ३ साल में वो कभी गाँव के तरफ नहीं गये ? क्या उनके शुभचिंतकों ने उन्हें गाँव वालों की परेशानियों से अवगत नहीं कराया ? इतने सारे प्रश्न सुनकर भैया ने बात को टालते हुए कहा कि माननीय के पास क्षेत्र के अलावा सैकड़ों काम हैं , रही बात इस तरफ आने कि तो मंत्री बनने के बाद विधानसभा चुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर से   प्रचार करने आये थे , ऐसे में इतनी छोटी समस्या पर उनका ध्यान ही नहीं गया होगा या फ...

अंगूर खट्टे हैं

             कल मेरे एक छात्र ने मुझसे पूछा कि अंगूर का स्वाद कैसा होता है ? मुझे उसका प्रश्न कुछ अटपटा लगा परन्तु बात एक होनहार छात्र की थी अतः उससे बिना सिर पैर के प्रश्न की उम्मीद भी नहीं थी । मै आश्वस्त था कि यह होनहार छात्र जरुर   किसी गम्भीर प्रश्न को हल करना चाहता होगा तभी तो ऐसे जटील प्रश्न से मेरी परीक्षा ले रहा । वैसे तो मुझे सटीक उत्तर नहीं मालूम था परन्तु अध्यापक होने के नाते उत्तर देना भी आवश्यक था । ऐसे में मैंने भी वही किया जो अधिसंख्य अध्यापक करते हैं । प्रश्न को छात्रों के पाले में डाल दिया । कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा । कुछ छात्र डर के मारे कुछ नहीं बोल रहे थे तो कुछ को शायद प्रश्न समझ में नहीं आया था । कुछ देर के सन्नाटे के बाद दीपक नाम के एक छात्र ने उत्तर दिया, सर अंगूर तो खट्टे भी होते हैं और मीठे भी । बचपन में सुना था कि अंगूर मिल जाएँ तो खट्टे और नहीं मिले तो मीठे होते हैं । कुछ अंगूर हमेशा खट्टे होते हैं और कुछ हमेशा मीठे, वहीं कुछ मौसमानुकूल अपना स्वाद बदल लेते हैं । कुछ अंगूर का एक विशेष...

तेरा ख़त

जब भी उदास होता हूँ , झंझावातों में उलझकर  होठों पर हल्की मुस्कान, बिखेर जाता है तेरा ख़त  जब भी मायूस होता हूँ, असफलताओं के बाद  रौशनी की किरण दिल में जगा जाते हैं वो शब्द  तन्हाईयों के बिस्तर पर जब नींद आती नहीं है  लोरी बनकर मुझे सुला जाते हैं वो लिखे अक्षर  डगमगाते हैं जब भी पाँव ज़िन्दगी के डगर पर  आँखों से कानों तक पहुँच हौसला दे जाते स्वर  न होकर भी पास होते हो हर कदम साथ तुम  कैसी ये ज़िन्दगी होती, न होते पास जो तेरे ख़त 

जो फिट है वो हिट है

                                                        कहते हैं कि जो फिट है वही हिट है । यह कहावत जिन्दगी के हर क्षेत्र में सौ फीसदी सच साबित होती है । बात चाहे परिवार की हो या समाज की या फिर बात कल या आज की हो, फिट व्यक्ति ही हर जगह हिट रहता है । आखिर डार्विन सर ने भी तो कहा था कि इस धरती पर वही व्यक्ति टिका रह सकता है जो इसके वातावरण के लिए फिट हो । समय बदला परन्तु डार्विन सर का यह सिद्धान्त नहीं बदला । सालों बीत जाने के बाद भी यह सिद्धान्त बहुतों के लिए आदर्श सिद्धान्त है । और बात अगर राजनीतिक पिच की हो तो फिटनेस की महत्ता और भी बढ़ जाती है । हाँ यहाँ फिटनेस की परिभाषा थोड़ी अलग है । यहाँ शारीरिक और मानसिक फिटनेस के बजाय राजनीतिक फिटनेस की जरुरत होती है । अब आप कहेंगे कि राजनीतिक फिटनेस किस बला का नाम है ? कुछ मित्रो...

हम उम्मीद करते हैं

उम्मीद इन्सान को जीना सिखाती है, परेशानियों से लड़ना सिखाती है । जब भी हम असफलताओं से लड़कर कमजोर हो जाते हैं, उम्मीद सफल होने का विश्वास दिलाती है । परन्तु जब भी हम कुछ ज्यादा की उम्मीद कर लेते हैं, यह उम्मीद हमारे सपने तोड़ जाती है । हम भारतीयों के लिए उम्मीद सबसे बड़ी चीज है जिसका दामन   हम कब्र में पैर होने के बावजूद भी नहीं छोड़ना चाहते हैं । हम जितनी उम्मीद खुद से करते हैं उससे कई गुना ज्यादा उम्मीद दूसरों से करते हैं । अध्यापक उम्मीद करता है कि छात्र इस बार पेपर अच्छा करें तो छात्र उम्मीद करता है कि अध्यापक उसे अच्छे नम्बरों से पास कर दे । किसान उम्मीद करता है कि बारिश अच्छी हो जिससे साहूकार का कर्ज चुका सके तो साहूकार उम्मीद करता है बारिश न हो जिससे उसका फायदा हो । रोगी उम्मीद करता है कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाय तो डॉक्टर उम्मीद करता है कि उसके यहाँ मरीजों की संख्या बढ़ती रहे । जनता उम्मीद करती है कि आने वाली सरकार अच्छी हो तो नेता उम्मीद करते हैं उनका चुनाव खर्च की भरपाई जल्द से जल्द हो जाय और वो अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वो पैसा कमाकर रख ले । यह उम्मीद ही वो बला है...

हमारी सरकार तो आने दो

राजीव चौक पर कल एक पुराने कांग्रेसी नेताजी से मुलाकात हो गयी । नेताजी अपनी सरकार में एक कद्दावर मंत्री हुआ करते थे । सरकार जाने के बाद मंत्री जी के काफ़िले से सारे सिपहसलार गायब हो गये थे । बेचारे ! पालिका बाज़ार के पास खड़े होकर शायद किसी सपने में खोये हुए थे तभी मेरी नज़र उनपर पड़ गयी । इतने बड़े नेता को ऐसे अकेले देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके पास चला गया । दुआ- सलाम के बाद जब मैंने उनसे ऐसे अकेले खड़े होने का कारण पूछा तो नेताजी विफर पड़े । आग बबूला होते हुए उन्होंने सत्ताधारी भाजपा की सरकार को गाली देना शुरू किया । नेताजी का कहना था कि हमारी सरकार तो आने दीजिये, एक एक भाजपा नेता की ख़बर न लिया तो मैं भी पक्का कांग्रेसी नहीं । प्रधानमंत्री जी ने भारत के लोगों को बेवकूफ बना रखा है । वो देश के गरीबों का पैसा अपने अमीर मित्रों को बाँट रहे । युवाओं से पकोड़े तलने को कह अपने विदेशों का चक्कर लगा रहे । नोटबंदी से सिर्फ उनके मित्रों का फायदा हुआ है, आम जनता आज भी नोटबंदी के दंश से कराह रही है । कहाँ तो दो करोड़ लोगों को हर साल नौकरी देने वाले थे, उल्टा लाखों लोगों की नौकरी खाने में लगे हुए ...

जरुरी तो नहीं

हर गज़ल का उनवां हो जरुरी तो नहीं,  हर मुसाफिर संग कारवां हो जरुरी तो नहीं उम्र निकल जाती है रेत में चलते हुए,  ज़िन्दगी ए सफ़र में छाँव हो जरुरी तो नहीं कुछ सपने टुटेंगे कुछ साकार होंगे,  अप्रत्याशित असफलता से आप दो -चार होंगे राह- ए- मंज़िल में थक रहे तो सोचिए जरा,  हर शख़्स का पाँव हो जरुरी तो नहीं उम्मीदों के आँगन में होता है सवेरा जरूर,  छँटता ज़िन्दगी का 'दीप' अँधेरा जरूर होगी किस्मत में तो मिलेगी खुशियाँ , किस्मत भी मेहरबां हो जरुरी तो नहीं चंद सिक्कों की खातिर भटक रहे दर बदर , छोड़ आये हैं गाँव का बूढ़ा सा घर बन रहे रिश्ते सिर्फ बाजार के तो रुकिए जरा,  दिल का जुड़ाव हो जरुरी तो नहीं चाह नहीं रखना सिर्फ चाँद सितारों की , खुशियाँ मोहताज नहीं सोने के दीवारों की झोपड़ी में भी हो जाती है ज़िन्दगी बसर, सबके पास पक्का मकां हो जरुरी तो नहीं

यू टर्न

                                     कहते हैं जब ज़िन्दगी की गाड़ी गलत दिशा में जाने लगे तो यू टर्न लेना सबसे अच्छा कदम होता है लेकिन बात जब राजनीति की हो तो यू टर्न की बात ही अलग होती है । यहाँ यू टर्न लेने का खूब प्रचलन है । कुछ माननीय तो यू टर्न लेने में विशेष डिग्री ले चुके हैं । जब मन में आया यू टर्न ले लिया । यू टर्न से इनकी पहचान जुड़ चुकी है या यूँ कहें कि ये इतनी बार यू टर्न ले चुके हैं कि आप इन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामित भी करा सकते हैं । विपक्षी दलों पर कीचड़ उड़ेलना हो या फिर किसी विषय पर ज्ञान बघारना, जैसे ही अपना काम पूरा हुआ यू टर्न ले लिया । राजनीतिक गलियारे में यू टर्न लेने वालों को सत्ता की मलाई भी खूब मिलती है । यू टर्न लेने वाला व्यक्ति राजनीति में सबसे दूर जाता है जबकि सीधे चलने वाला व्यक्ति रास्ते में ही हिम्मत खो देता है । बेनी प्रसाद जी को यू टर्न लेने वाले माननीयों में सबसे ऊँचा स्थान हासिल है । उन्होंने बड़ी मेहनत से यू टर्न लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया...