संसद में महिला आरक्षण से बदलेगी तस्वीर


विगत 27 वर्षों से लम्बित महिला आरक्षण सम्बंधित विधेयक को लोकसभा में पेश करके सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है | नए संसद भवन में सर्वप्रथम पेश किये जाने वाले इस विधेयक से भारतीय राजनीति की न सिर्फ तस्वीर बदलने की उम्मीद है अपितु अधिनियम का रूप लेते ही यह विधेयक देश की सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक नीतियों पर भी असर डालेगा | एक तरफ जहाँ ‘नीति निर्माण प्रक्रिया’ में महिला हिस्सेदारी बढ़ेगी वहीँ दूसरी तरफ इससे महिला वर्ग का प्रतिनिधित्व होने के साथ ही महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका भी सुनिश्चित की जा सकेगी | वैसे तो सरकार द्वारा महिला आरक्षण सम्बंधित विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पेश करने के साथ ही महिलाओं के लिए संसद के उच्च सदनों एवं विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ दिख रहा है, परन्तु पूर्व के अनुभवों से यह राह इतनी आसान नहीं होने वाली है | अभी तक समाजवादी पार्टी एवं राष्ट्रीय जनता दल जैसे विभिन्न दलों के नेता कोटा के अन्दर कोटा की माँग कर महिला आरक्षण का रास्ता रोकते रहे हैं, ऐसे में इन दलों के नेता इस बार क्या करते हैं, यक्ष प्रश्न है | वर्तमान लोकसभा में इस बार सर्वाधिक 78 महिला सांसद हैं, महिला आरक्षण लागू होते ही यह संख्या 181 हो जायेगी | राज्यसभा में महिला सांसदों की संख्या 25 है | यह पहला अवसर है जब संसद के दोनों सदनों में महिला सांसदों की संख्या 100 से अधिक है | आरक्षण लागू होने के बाद विभिन्न विधानसभाओं में भी महिला प्रतिनिधियों की संख्या 1374 हो जायेगी, जिससे राज्यों की राजनीति में महिलाओं को उचित स्थान एवं सम्मान प्राप्त हो सकेगा |

महिला आरक्षण विधेयक के रास्ते में रोड़ा अटकाकर कुछ राजनैतिक दल भले ही त्वरित लाभ प्राप्त करते हों, परन्तु इससे राजनैतिक क्षेत्र में समान महिला भागीदारी का मार्ग अवरूध्द होता है | आम तौर पर राजनैतिक दलों द्वारा महिला प्रत्याशियों को टिकट देने में भी कंजूसी की जाती है जिसका असर सदन में महिला प्रतिनिधित्व पर भी पड़ता है | सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या भी अत्यन्त कम है जो महिला हितों पर असर डालती है, एवं समग्र रूप से महिला सशक्तिकरण पर इसका असर पड़ता है | महिला आरक्षण अधिनियम महिला सशक्तिकरण को आधार प्रदान करने के साथ ही महिलाओं की अनदेखी पर भी लगाम कसेगा, फलस्वरूप सिर्फ महिला हित की बात करने वाले दल, महिलाओं को टिकट देने के लिए मजबूर होंगे | सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या भी बढ़ेगी जिससे महिलाओं से जुड़ी नीतियों के निर्माण में महिला हिस्सेदारी भी बढ़ेगी | वर्तमान समय में महिलाएं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है, एवं देश की प्रगति में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं | ऐसे में महिला सशक्तिकरण के आधारस्तम्भ के रूप में राजनैतिक क्षेत्र में महिला आरक्षण से कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित होंगे, जैसा कि पंचायती व्यवस्था में आरक्षण से कई प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक बदलाव देखने को मिले हैं | पंचायतों की त्रिस्तरीय व्यवस्था महिला आरक्षण ने राजनैतिक क्षेत्र में महिला सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के कायाकल्प में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है |

हमारे संविधान में पुरुषों की भांति ही महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक स्तर पर समान अवसर की बात की गयी है | निश्चित तौर पर किसी भी देश का विकास उस देश की समग्र जनसंख्या द्वारा सक्रीय सहभागिता की माँग करता है, एवं पुरुष जनसंख्या के साथ ही महिला जनसंख्या की सहभागिता भी महत्वपूर्ण होती है | भारतीय स्वतंत्रता के बाद महिला वर्ग को सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक स्तर पर अनेकों चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिससे देश के समग्र विकास पर भी असर देखने को मिला | विशेषतौर पर राजनीति के क्षेत्र में महिला प्रतिनिधियों की संख्या अत्यन्त कम रही जिससे राजनीतिक पटल पर उनकी आवाज को उतना महत्त्व नहीं मिला | इससे नीतियों का निर्माण करते समय भी वर्षों तक महिलाओं से जुड़ी समस्याओं पर कम ही ध्यान दिया गया | महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के निर्माण एवं उनके क्रियान्यवन में महिला प्रतिनिधि की आवाज अत्यन्त महत्वपूर्ण है, ऐसे में आधी आबादी की राजनैतिक सहभागिता अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है जिससे नीति-निर्धारण में उन्हें सहभागी बनाया जा सके | राजनीतिक क्षेत्र में महिला भागीदारी का रास्ता दोनों सदनों से होकर जाता है क्योंकि यही वो स्थान हैं जो महिलाओं के राजनैतिक सशक्तिकरण का आधारशिला रखते हैं | दोनों सदनों में महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व न सिर्फ महिलाओं को राजनैतिक रूप से सशक्त करेगा अपितु इससे महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग भी प्रशस्त होगा |

21 वीं सदी के भारत में महिला सशक्तिकरण नितान्त आवश्यक है जिसका रास्ता राजनैतिक क्षेत्र में महिला भागीदारी से होकर जाता है | यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं की आवाज़ सुनी जाये, महिलाओं से जुड़ी नीतियों को बनाते समय महिला सहभागिता हो, एवं महिलाओं को वास्तविक रूप में राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिले | इसके लिए आवश्यक है कि संविधान द्वारा प्रदत्त समानता का अधिकार सिर्फ कागजों तक सीमित न रहे, एवं अतिशीघ्र महिला आरक्षण बिल पारित हो | महिला सशक्तिकरण के तमाम प्रयास तभी सफल होंगे जब महिलाएं अपने अधिकारों से अवगत होने के साथ ही प्राप्त अवसर को पूरे आत्मविश्वास के साथ बिना किसी बैशाखी के भुना पायेंगी | एक सशक्त भारत के निर्माण में भी महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी महत्वपूर्ण हो जाती है | आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर महिला प्रतिनिधित्त्व एक अनुकूल परिस्थिति प्रदत्त करता है, एवं राजनैतिक दलों से अपेक्षा की जाती है कि राजनैतिक क्षेत्र में महिलाओं की समान भागीदारी के लिए आवश्यक कदम बढ़ाये | राजनीति से जुड़ा होने के बावजूद यह विषय राजनीति की माँग नहीं करता है | अतः पक्ष एवं विपक्ष में बैठे सभी दलों को अपना राजनैतिक तराजू किनारे रखकर देश हित में समान महिला भागीदारी के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा | राजनीतिक क्षेत्र में समान महिला भागीदारी से न सिर्फ भारत का राजनैतिक परिदृश्य बदलेगा अपितु सही मायने में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी |

 

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