चलो आज फिर
चलो आज फिर हम मुस्कुराते हैं |
कुछ सुनते हैं और कुछ सुनाते हैं ||
वक्त ने जमा दिया है धूल जिनपे |
रिश्तों पर पड़ी धूल हम मिटाते हैं ||
बीते दिनों दिल ये रोया बहुत है |
खोकर तुझे इसने खोया बहुत है ||
देखे थे ख्वाब जो संग कभी हम |
नज़रों में आज उन्हें हम संजाते हैं ||
कड़वी यादें जो बन गयीं हैं ज़हर |
उन यादों को आज हम मिटाते हैं |
इससे पहले मिटा लें वजूद अपना |
नफरतों की चिता हम जलाते हैं ||
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