आज़ादी के दीवानें
आज़ादी के दीवानों को सलाम लिख रहा हूँ |
उनकी वीरता पर आज कलाम लिख रहा हूँ ||
ब्रिटिश हुकूमत की जिन्होंने दीवारें हिला दी |
ज़ालिम अंग्रेजों को हिन्द की ताकत दिखा दी ||
मंगल पाण्डेय ने किया आजादी का शंखनाद |
अठ्ठारह सौ संतावन को दुनिया करती है याद ||
जन-जन को जगा फिर सो गया जो बहादुर |
आज उसकी तरफ से मैं पैगाम लिख रहा हूँ ||
आज़ादी के दीवानों को............
बैरकपुर की धरती उसे आज भी करती है याद |
बलिया से आया था मंगल बनकर एक सैलाब ||
घबड़ाया नहीं वह न ही उसने पीठ ही दिखाया |
गोरे सिपाहियों से आकर सामने ही टकराया ||
कुंवर, अमर संग हो लिए जल्द धरती बिहार से |
डर गयी हुकूमत रानी लक्ष्मीबाई की तलवार से ||
किस्से बलिदानियों के सभी के नाम लिख रहा हूँ |
आज़ादी के दीवानों को..............
माँ भारती की खातिर जिन्होंने ओढ़ लिये कफ़न |
ऐसे वीर सपूतों को अर्पित करते हैं श्रद्धा सुमन
||
लिख गये लहू से जो आज़ादी का प्रथम अध्याय |
करते हैं नमन उनको आज करते हैं सब अर्पण ||
ऋणी रहेंगे हम ऊम्र भर तात्या और नाना के |
जिनकी वीरता का आज गुणगान लिख रहा हूँ ||
आज़ादी के दीवानों को..............
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