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दक्षिण भारत के तरफ बढ़े भाजपा के कदम

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  आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारी शुरू कर दिया है जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अभी भी अपने सहयोगी क्षेत्रीय दलों के सियासी उठापटक में उलझी हुई है | उत्तर भारत में मजबूत स्थिति में दिख रही भाजपा इस बार दक्षिण भारत में सियासी बढ़त बनाना चाहती है जिससे वह लोकसभा में एक ऐतिहासिक लक्ष्य को प्राप्त कर सके | हाल ही में सम्पन्न तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार ८ सीटों पर जीत हासिल कर यह संकेत दे दिया है कि आने वाले चुनाव में वह दक्षिण के इस राज्य में अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है | कर्नाटक में पहले से ही भाजपा का प्रदर्शन ठीक रहा है जिसे वह और बेहतर करना चाहेगी जबकि आंध्रप्रदेश में भाजपा को सहयोगी दलों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी | प्रमुख दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर दिखाई दे रहा है जहाँ यह राष्ट्रीय दल अन्नाद्रमुक से रिश्ता तोड़कर आगे बढ़ चला है एवं अपने अभियान की कमान अन्नामलाई जैसे पिछड़ी जाति के नेता के हाथों में सौंप रखा है | पिछड़े समूह से आने वाले अन्नामलाई अपनी जाति के वोटरों में अच्छी पकड़ रखते हैं, साथ ...

वर्तमान सेवा शर्तों से प्रभावित होती शैक्षणिक गुणवत्ता

विगत दिनों बिहार में उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को प्रतिदिन कम से कम 5 कक्षाएं लेना अनिवार्य कर दिया, साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि जो भी शिक्षक इस आदेश का पालन नहीं करेंगे उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी | कुलसचिव एवं प्राचार्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी शिक्षक अनिवार्य रूप से प्रति कार्यदिवस न्यूनतम 5 कक्षा लेंगे, साथ ही इस बाबत उन्हें नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी | एक तरफ सरकार शिक्षा सुधार की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है और राज्य में बेपटरी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, तो वहीं यह आदेश शिक्षकों की मनोदशा पर प्रतिकूल असर डाल सकता है | हाल ही में राज्य को लगभग 1 लाख नये शिक्षक मिले हैं एवं जल्द ही 1 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती की जानी है | ऐसे में राज्य में शिक्षा व्यवस्था के कायाकल्प की दिशा में सकारात्मक संकेत से सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश पर असर पड़ना लाजिमी है, परन्तु आदेशित शैक्षिक कार्यभार से शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित होने का जोख़िम अत्यधिक है |  स्वतंत्रता क...

एक है जो...

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नफरतों के दौर में प्यार बाँट रहा, शुष्क मौसम में बहार बाँट रहा | कट गये हैं जड़ों से हजारों तरुण, ऐसे वर्धमानों में संस्कार बाँट रहा || बढ़ रही है पीड़ा, कुंठा और संत्रास, अपनों से दूरी का कड़वा एहसास | दब रही है हँसी दुखों के पहाड़ से, मुस्कुराहट की हल्की फुंहार बाँट रहा || बंज़र हो रही है जो उपजाऊ धरा, हरेक आँगन है आज सूना पड़ा | देहरी को तकती हैं पथराई आँखें, ऐसी दीदाओं को संसार बाँट रहा || पाया है कुछ तो खोया बहुत है, अपनों को खोकर रोया बहुत है | पपीहा सा प्यासा मुसाफिर कोई, हर प्यासे को जल-धार बाँट रहा ||  

एक एहसास

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दिल की बात, जुबां पर आती कहाँ है   | कुछ बातों को आँखें, बोल पाती कहाँ है || छुपा रखा है उसने, सीने में एक चिंगारी | वर्षों से लगी आग वो, बुझाती कहाँ है   || यूँ तो कर जाती है, जहां की बातें मुझसे | दिल पर बीती हुई, वो बताती कहाँ है   || बिखेर लेती है लवों पे, यादों के मोती   | सामने होने पर, वो मुस्कुराती कहाँ है   || बिछाकर अनगिनत ख़ुशी, राहों में मेरे | हक अपना कभी,   वो जताती कहाँ है   || रौशन रहे दुनिया, हमदम के प्यार की     | अपने लिए वो दीप,  जलाती कहाँ है    ||    

विचार

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  विचारों से होता सृजन, विचारों में पलता प्रलय | विचार ही हानि कराते, विचारों से ही होता संचय || विचार ही हैं मन के साथी, रहते सदैव साथ हमारे | विचारों के गर्भ से ही, निकलते हमारे हर निर्णय || ये रूक गये तो हार तय, विचारों से मिलती विजय | क्रोध की अग्नि में, बन जाते हैं विचार अंगारे | पल भर में ही राख भी, कर जाते हैं रिश्ते सारे || युद्ध की पृष्ठभूमि यही, शान्ति की हैं जन्मभूमि | नवनीत से हैं मुलायम, कठोर हैं ये जैसे हिमालय || ये रूक गये तो हार तय......... काल से हैं मुक्त कराते, विचार ही हैं अमर कराते | रहते अमर दिलों में ये, यही दिलों पर राज कराते || अनंत अजर व अविनाशी, बनाते जन को सहभागी | विचार जिनके नेक हों, सम्मान मिलता है निश्चय | ये रूक गये तो हार तय......... घोर अन्धकार दिखाते, रश्मिरथियों सा सैर कराते | बनकर पथ प्रदर्शक ये, जीवन मूल्यों से भेंट कराते || आत्ममंथन और चिंतन, चाहे हों हमारे जीवन दर्शन | विचार केन्द्रित होकर मन, होता है ‘दीप’ जब चलय || ये रूक गये तो हार तय.........

कर्म पथ

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गहरे समंदर में उतरना होगा, सूर्य सा निरंतर चलना होगा | परिश्रम की आग में तपकर, स्वर्ण सा तुझे निखरना होगा || जीवन के तमाम झंझावातों से, हँसकर तुझे गुजरना होगा | आयेंगी चुनौतियां पथ पर, चुनौतियों से तुझे लड़ना होगा || हार और जीत के बीच दूरी को, मेहनत से तय करना होगा | लड़खड़ा जाये कदम अगर, मजबूती से सम्भलना होगा || रूक गया तो हार तय है, कर्म पथ पर मिलती विजय है || असंभव सब संभव होगा, भागीरथ प्रयास बस करना होगा ||

संसद में महिला आरक्षण से बदलेगी तस्वीर

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विगत 27 वर्षों से लम्बित महिला आरक्षण सम्बंधित विधेयक को लोकसभा में पेश करके सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है | नए संसद भवन में सर्वप्रथम पेश किये जाने वाले इस विधेयक से भारतीय राजनीति की न सिर्फ तस्वीर बदलने की उम्मीद है अपितु अधिनियम का रूप लेते ही यह विधेयक देश की सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक नीतियों पर भी असर डालेगा | एक तरफ जहाँ ‘नीति निर्माण प्रक्रिया’ में महिला हिस्सेदारी बढ़ेगी वहीँ दूसरी तरफ इससे महिला वर्ग का प्रतिनिधित्व होने के साथ ही महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका भी सुनिश्चित की जा सकेगी | वैसे तो सरकार द्वारा महिला आरक्षण सम्बंधित विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पेश करने के साथ ही महिलाओं के लिए संसद के उच्च सदनों एवं विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ दिख रहा है, परन्तु पूर्व के अनुभवों से यह राह इतनी आसान नहीं होने वाली है | अभी तक समाजवादी पार्टी एवं राष्ट्रीय जनता दल जैसे विभिन्न दलों के नेता कोटा के अन्दर कोटा की माँग कर महिला आरक्षण का रास्ता रोकते रहे हैं, ऐसे में इन दलों के नेता इस बार क्या करते हैं, यक्ष प्रश्न है | वर्तमान लोकसभा म...

चलो हिन्दी दिवस मनाते हैं (व्यंग्य)

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  कुछ दिन पहले एक कवि सम्मलेन में जाने का मौका मिला । इस सम्मलेन का आयोजन हिंदी की रोजी रोटी खाने वाली एक बड़ी संस्था ने किया था । हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कवि सम्मलेन में कई मूर्धन्य कवि पधार रहे थे। इन मूर्धन्य कवियों के बीच मेरा कद इतना बड़ा ही था जितना किसी हिंदी-भाषी क्षेत्र से आये छात्र का अंग्रेजी माध्यम से पढाई करने वाले छात्रों के बीच होता है । अंग्रेजियत के माहौल में पले बढ़े इन महानुभावों के बीच   बैठकर   मेरा वही हाल हो रहा था जैसाकि किसी निगमीय कार्यालय में साक्षात्कार के लिए बैठे हिन्दीभाषी प्रतिभागी का होता है । बराबर की कुर्सी पर मुझ जैसे निरीह प्राणी को देखकर एक सज्जन से नहीं रहा गया , परिणाम स्वरुप उनके शब्द बाण का मुझे शिकार होना पड़ा । मसलन आप कहाँ से हैं ? आपको   पहले   कभी   नहीं   देखा  , क्या आप हिंदी में कवितायेँ ... ? इत्यादि प्रश्न सुनकर मै दंग रह गया। भारत जैसे देश में जहाँ हिन्दी दिवस मनाया जाता है , ऐसे सरस्वती पुत्र का योगदान गाथा सुनकर ऐसा लग रहा था कि महोदय को अभी अभी भारतेंदु पुरस्कार से नवाजा गया हो । ...

चलो आज फिर

चलो आज फिर हम मुस्कुराते हैं | कुछ सुनते हैं और कुछ सुनाते हैं || वक्त ने जमा दिया है धूल जिनपे | रिश्तों पर पड़ी धूल हम मिटाते हैं || बीते दिनों दिल ये रोया बहुत है | खोकर तुझे इसने खोया बहुत है || देखे थे ख्वाब जो संग कभी हम | नज़रों में आज उन्हें हम संजाते हैं || कड़वी यादें जो बन गयीं हैं ज़हर | उन यादों को आज हम मिटाते हैं | इससे पहले मिटा लें वजूद अपना | नफरतों की चिता हम जलाते हैं ||

तकनीकी ने बदला शिक्षक की भूमिका

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  वर्तमान समय में तकनीकी ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है, शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है | तकनीकी विस्तार ने शिक्षण पद्धति से लेकर, कक्षा के वातावरण को प्रभावित करने के साथ ही शिक्षक की भूमिका को भी बदलने का कार्य किया है | आधुनिक ज्ञान के अथाह समुद्र के रूप में ‘गूगल’ की चकाचौंध करने वाली दुनिया हो या फिर ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ का मायाजाल, शिक्षक नामक संस्था को लगातार प्रभावित कर रहे हैं | इंटरनेट और स्मार्टफोन की उपलब्धता ने विद्यार्थियों को पलक झपकते ही इच्छित ‘अंतर्वस्तु’ तक पहुँचने का विकल्प देकर शिक्षण के पुरातन मानकों को बदलने का कार्य किया है | आधुनिक तकनीकी ने एक तरफ जहाँ ऑनलाइन शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया है, वहीं देश-विदेश के किसी कोने में रहकर किसी संस्थान से शिक्षा ग्रहण करने का अनगिनत विकल्प भी उपलब्ध कराया है | समय सापेक्ष हुए तकनीकी बदलाव ने शैक्षणिक संस्थानों के लिए आधुनिक परिवेश को गढ़ने का कार्य किया है जिसमें शिक्षक की भूमिका बिल्कुल अलग नज़र आती है | वैश्विक पटल पर तेजी से अपनी पहचान बना रहा भारत आज आर्थिक क्षेत्र में निरन्तर नई ऊँचाई ...

राष्ट्रहित में जरूरी है समान नागरिक संहिता

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  विगत कुछ दिनों से समान नागरिक संहिता से जुड़ा मुद्दा सर्वाधिक चर्चा में है, सरकार द्वारा गठित २२ वें विधि आयोग द्वारा इस सन्दर्भ में सुझाव आमंत्रित किये जाने के कुछ दिनों के अन्दर ही लाखों की संख्या में सुझाव प्राप्त हो चुके हैं | आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले अधिकाधिक लोगों के सुझाव एवं आपत्ति को आधार बनाना चाहता है जिससे इस जटिलता भरे मुद्दे पर जनभावनाओं को केंद्र में रखकर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जा सके | यही कारण है कि न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने जनमत संग्रह की समय सीमा दो सप्ताह के लिए बढ़ाकर २८ जुलाई कर दिया है जिससे अधिकाधिक लोग अपने सुझाव एवं आपत्तियों को दर्ज करा सकें | विगत दिनों आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले सभी हितधारकों एवं संगठनों से विचार-विमर्श किया जायेगा | भारतीय संविधान के अनुच्छेद ४४ में समान नागरिक संहिता सम्बंधित उल्लेख है, बाबा भीमराव अम्बेडकर भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे | १९८५ में शाह बानो का केस हो या फिर १९९५ में सरला मुदगल से जुड़ा मामला, देश की सर्वोच्च न्यायालय ने यू सी सी की दिशा में सकार...

तेरी कहानी

  लवों पे है जो मेरे तेरी अधूरी कहानी है | आँखों में मेरे आज समन्दर का पानी है || रेत सी ज़िन्दगी फिसल रही है धीरे-धीरे | लहरों की जद में जैसे कोई निशानी है  || तूफ़ान है दिल में मेरे यादों का कारवां है | किनारों सा साथ बस यही जिन्दगानी है  | | बुलाता है तेरा शहर वहाँ कई बार मुझे  | जिन गलियों में बिखरीं यादें सुहानी है  || आ जाये कभी जब मेरी याद तुझे भी  | ख्वाबों में आकर एक रस्म निभानी है  || मिलूँगा तुझे मैं तेरे हर मोड़ पर ‘दीप’  | यादों की दिल में बस ज्योति जलानी है ||

प्रकृति

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देती है जो जीवन हमको | उसका हम सम्मान करें   || नभ, थल, जल से है कल | आओ इसका गुणगान करें || कृतज्ञ हो सब शीश नवायें | संरक्षण का हम ध्यान करें | देती है जो जीवन...... एक अकेले मानव ने ही | प्रकृति को खूब रूलाया है || इच्छाओं की पूर्ति खातिर | संसाधनों का किया सफाया है || जीव-जन्तु सब तड़प रहे हैं | उनका भी कुछ ध्यान करें || देती है जो जीवन...... सूख रहे हैं कुआँ-बावली | नदियाँ भी सब कराह रही || मैला हुआ समुन्दर अपना | भू-जल का अब थाह नहीं || जल-बिन जीवन असम्भव है | जल-स्रोतों का न अपमान करें || देती है जो जीवन...... दूषित हवा दम घोंट रही है | साँसे उखड़ रही हैं सबकी   || कल-कारखानों के धुएँ से   | सेहत बिगड़ रही है नभ की || स्वच्छ हवा सेहत की कुंजी   | साफ-सुथरा हम आसमान करें || देती है जो जीवन...... मिट्टी में मिलकर प्लास्टिक | ‘दीप’ बंजर उसे बना रही है || नाले-नदी से होकर प्लास्टिक | समुद्र में अम्बार लगा रही है || आओ आज हम त्यागे इसको | प्लास्टिक मुक्त हिन्दुस्तान करें || देती है जो जीवन...... ...